
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गरीब, भूमिहीन किसान और पशुपालकों को रोजगार देने के लिए बकरी पालन योजना को शुरू किया गया है। इस योजना के तहत पात्र उम्मीदवारों को 90% की सब्सिडी मिल रही है जिससे वे बकरी पालन का काम कर सकते हैं। यह योजना पशुधन विभाग द्वारा संचालित की जा रही है। योजना का लाभ अनुसूचित श्रेणी के लोगों को दिया जाएगा। आइए जानते हैं योजना की पूर्ण जानकारी और आवेदन प्रक्रिया क्या है।
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बकरी पालन योजना क्या है?
उत्तर प्रदेश सरकार के पशुधन विभाग द्वारा बकरी पालन योजना चलाई जा रही है जिसका मकसद अमुसुचित जाति के गरीब पशुपालक, भूमिहीन किसानों को आर्थिक स्थिति को सुधारकर आत्मनिर्भर बनाना है। इसलिए योजना के तहत उन्हें आर्थिक सहायता देकर रोजगार प्रदान किया जा रहा है। सरकार ने योजना का लाभ देने के लिए सभी जिलाधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हुए हैं। इसके अतिरिक्त सरकार योजना शुरू करके बकरी का मांस और दूध के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है क्योंकि बाजार में इसकी डिमांड अधिक है। उम्मीदवार सब्सिडी का लाभ लेकर रोजगार कर सकते हैं और अपनी आय बढ़ा पाएंगे।
750 इकाइयां लगाई जाएंगी
आज के समय में बकरी पालन करके अच्छा मुनाफा कमाया जा रहा है जिससे गरीब और गांव के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। यूपी सरकार इसे बढ़ाने के लिए योजना के तहत हर साल राज्य के 75 जिलों में नई बकरी पालन इकाइयां लगाने का लक्ष्य निर्धारित कर रही है। प्रत्येक जिले में 10 इकाइयां लगने वाली है।
योजना के तहत कितनी मिलेगी सब्सिडी?
योजना की हर बकरी पालन इकाई में 1 बकरा और 5 बकरियां मिलेंगी। एक इकाई की कुल कीमत 60 हजार रूपए है। उम्मीदवारों को इसमें 90 प्रतिशत की सब्सिडी मिलती है यानी की 54,000 रूपए की सहायता मिलेगी। आपको सिर्फ 6,000 रूपए का ही खर्चा करना पड़ेगा। पहले चरण के तहत इस साल उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 750 इकाइयां लगेगी जिससे पशुपालक को लाभ होगा। वे अपनी आय को बढ़ाकर आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं।
बकरी पालन इकाई में क्या मिलेगा?
योजना के तहत पशु विभाग द्वारा एक नर बकरे की कीमत 10,000 रूपए निर्धारित है और एक मादा बकरी की कीमत 9,000 रूपए है। योजना के तहत मिली सब्सिडी से आप बकरी को खरीद, बीमा, चिकित्सा और परिवहन के काम कर सकते हैं।
पात्रता मानदंड क्या है?
बकरी पालन योजना का लाभ लेने के लिए नीचे दी हुई पात्रता मानदंड का पालन करें।
- योजना में आवेदन करने के लिए उम्मीदवार की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- योजना में अनुसूचित जाति के पुरुष और महिला बेरोजगार पशुपालक ही योजना में आवेदन कर सकते हैं।
- उम्मीदवार के पास बकरी रखने का स्थान होना चाहिए।
- बकरी पालन के लिए प्रशिक्षण की भी आवश्यकता होनी चाहिए।
- भेड़ बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र, इटावा, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, फराह और मखदूम से प्रशिक्षण लिया गया हो।