
भारत में केंद्र सरकार ने खाद तेल की बढ़ती मांग को देखते हुए घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने का अहम फैसला लिया है, साथ भी उपभोक्ता की जानकारी के लिए बता दे की ऑयल पाम मिशन के जरिए छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में पाम ऑयल की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स–ऑयल पाम (NMEO-OP) योजना के अंतर्गत यह विशेष अभियान शुरू किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा देना और भारत को खाद तेल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।
किसानों को मिलेगी 1.14 लाख रुपए तक की सब्सिडी
ऑयल पाम मिशन योजना के अंतर्गत केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर किसानों को आकर्षक सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। सूरजपुर जिले के किसानों को पाम ऑयल की खेती के लिए कुल 1,14,885 रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। इसमें पौधरोपण सामग्री हेतु 29,000 रुपए, फेंसिंग के लिए 54,485 रुपए तथा ड्रिप सिंचाई प्रणाली के लिए 31,400 रुपए तक की सहायता राशि शामिल है। इसके अलावा, बोरवेल एवं पंप प्रतिस्थापन के लिए भी किसानों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
सब्सिडी के साथ मिलेगी बाजार की गारंटी
इस योजना की एक खास विशेषता यह है, कि इसमें किसानों की सबसे बड़ी समस्या यानी फसल की बिक्री (Marketing) को भी पूरी तरह हल किया गया है। राज्य सरकार ने प्री. यूनिक एशिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत कंपनी किसानों से उनकी पाम ऑयल फसल सीधे खेत से ही खरीदेगी। इससे न केवल किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि बाजार की भाग दौड़ से भी राहत मिलेगी। इस कदम को किसानों की आय को स्थिर करने और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
2025-26 तक 300 हेक्टेयर में ऑयल पाम का लक्ष्य
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में चल रहे इस अभियान के तहत वर्ष 2025-26 तक कुल 300 हेक्टेयर भूमि पर ऑयल पाम पौधों का रोपण करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना की शुरुआत भैयाथान विकासखंड के ग्राम सिरसी से की गई है, जहाँ किसान आशीष गुप्ता की एक हेक्टेयर भूमि पर 143 ऑयल पाम पौधे लगाए गए। कलेक्टर एस. जयवर्धन ने बताया कि पारंपरिक फसलों की तुलना में ऑयल पाम की खेती से किसानों को चार गुना अधिक मुनाफा हो सकता है। इसके साथ ही, यह खेती कम मेहनत और कम देखभाल में भी बेहतर उत्पादन देती है।
कैसे करें पाम ऑयल पौधों का रोपण?
पाम ऑयल की खेती के लिए 9×9 मीटर की त्रिकोणीय पद्धति से प्रति हेक्टेयर 143 पौधे लगाए जाते हैं। यह पौधे रोपण के चार साल बाद फल देना शुरू करते हैं और एक बार फल लगना शुरू होने के बाद अगले 25 से 30 वर्षों तक लगातार उत्पादन देते हैं। एक एकड़ भूमि में किसान को सालाना 10 से 12 टन तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है। सरकार ने ऑयल पाम फलों की खरीद दर 17 रुपए प्रति किलोग्राम तय की है। इस हिसाब से किसान को एक एकड़ में न्यूनतम 10 टन उत्पादन भी मिले तो वह 1,70,000 रुपए तक की आय प्राप्त कर सकता है। इस आय में से लागत निकालने के बाद भी मुनाफा पारंपरिक फसलों की तुलना में कहीं अधिक होता है।
पाम ऑयल की खेती लम्बे समय तक कमाई का अच्छा तरीका
पाम ऑयल की खेती किसानों के लिए दीर्घकालिक और टिकाऊ कृषि विकल्प के रूप में उभर रही है। एक बार रोपण करने के बाद यह पौधे अगले तीन दशकों तक उपज देते रहते हैं, जिससे किसानों को साल दर साल नियमित और स्थायी आय का स्रोत प्राप्त होता है। कम रोग जोखिम, सीमित देखभाल की आवश्यकता और सरकारी सहायता जैसे कारकों के चलते यह खेती छोटे और मध्यम किसान परिवारों के लिए विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हो रही है।
कलेक्टर जय वर्धन का यह भी कहना है कि यह मिशन न केवल जिले में किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि देश को खाद्य तेल उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मील का पत्थर करार दिया।